उज्जैन 14 नवम्बर। 8 नवम्बर से प्रारम्भ हुए अखिल भारतीय कालिदास समारोह का समापन आज गुरूवार को पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल में हुआ। समारोह के सारस्वत अतिथि डॉ.राधावल्लभ त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि कवि कुलगुरू कालिदास भारत राष्ट्र के अनुपम कवि थे। उन्होंने कहा कि देश में केवल उज्जैन ही एक ऐसा स्थान है, जहां पर अखिल भारतीय कालिदास समारोह आयोजित किया जाता है, यह सराहनीय है। डॉ.त्रिपाठी ने कहा कि कालिदास को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिये। श्री त्रिपाठी ने कहा कि कालिदास की सभी रचनाएं श्रेष्ठ हैं। उनकी रचना मालविकाग्निमित्रम में लक्ष्मी व सरस्वती का समागम दृष्टिगोचर होता है।
इसके पूर्व समापन समारोह में मुख्य अतिथि रंगकर्मी श्री अतुल तिवारी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बालकृष्ण शर्मा, सारस्वत अतिथि डॉ.राधावल्लभ त्रिपाठी, कालिदास संस्कृत अकादमी की प्रभारी निदेशक श्रीमती प्रतिभा दवे ने कवि कुलगुरू कालिदास एवं पं.सूर्यनारायण व्यास के चित्र के संमुख दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। समापन समारोह के अवसर पर अपर कलेक्टर श्रीमती बिदिशा मुखर्जी, अकादमी के सहायक निदेशक डॉ.संतोष पण्ड्या सहित गणमान्य अतिथि मौजूद थे।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि रंगकर्मी श्री अतुल तिवारी ने कहा कि इस बार कालिदास सम्मान मूर्धन्य नाटककार श्री सुरेन्द्र वर्मा को दिया गया है। श्री वर्मा का कालिदास के साहित्य से गहरा रिश्ता रहा है। उन्होंने कालिदास के कथानकों पर कई रचनाएं देश को दी है। उनकी रचना 'आठवा सर्ग' एवं 'शकुन्तला की अंगूठी' अद्वितीय है। श्री तिवारी ने कहा कि कालिदास व फिल्मों का नाता बहुत पुराना है। मूक फिल्मों के जमाने से कालिदास की रचनाओं पर फिल्में बनती रही हैं। श्री तिवारी ने वर्तमान सन्दर्भों में कालिदास एवं उनकी रचनाओं पर फिल्म निर्माण की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि कालिदास पर एक डिजिटल म्युजियम भी बनाया जाना चाहिये।
अध्यक्षीय उद्बोधन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति श्री बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि महाकवि कालिदास का साहित्य समुद्र के समान है। कालिदास के पद्यों की व्याख्या करने का सामर्थ्य किसी के पास नहीं है। उनका साहित्य समुद्र के समान है जो प्रतिक्षण नवीन होता जाता है। जिस तरह समुद्र में डुबकियां लगाकर रत्न निकालते हैं, उसी तरह कालिदास के साहित्य का अध्ययन करने पर हर बार नये रत्न की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि कालिदास समारोह का प्रतिवर्ष आयोजन इन्हीं नवीन संभावनाओं को लेकर होता है। कार्यक्रम में अपर कलेक्टर श्रीमती बिदिशा मुखर्जी ने कहा कि इस बार कालिदास समारोह में जो भी प्रस्तुतियां हुईं वे अद्वितीय थी। उन्होंने कहा कि एम्पी थिएटर एवं स्थाई रंगमंच की स्थापना के सम्बन्ध में राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जायेगा। कार्यक्रम में सहायक निदेशक डॉ.संतोष पण्ड्या ने इस बार के कालिदास समारोह के आयोजन पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा कार्यक्रम का संचालन किया।
पुरस्कार वितरण
समापन समारोह में श्रेष्ठ कृति अलंकरण तथा मूर्तिकला एवं चित्रकला के पुरस्कार वितरित किये गये। श्रेष्ठ कृति अलंकरण अखिल भारतीय कालिदास पुरस्कार वर्ष 2017-18 का डॉ.ज्योतिस्वरूप अग्निहोत्री फर्रूखाबाद उत्तर प्रदेश को उनकी कृति 'श्री हनुमच्चरितम' पर दिया गया। इस कृति के लिये उन्हें एक लाख रुपये का पुरस्कार एवं शाल, श्रीफल भेंट किया गया। प्रादेशिक व्यास पुरस्कार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.बालकृष्ण शर्मा को 'विवेक-सोपान परम्परा' पर दिया गया। प्रादेशिक भोज पुरस्कार रतलाम की डॉ.पूजा मनमोहन उपाध्याय को दिया गया। प्रादेशिक व्यास पुरस्कार एवं भोज पुरस्कार में 51 हजार रुपये की पुरस्कार राशि एवं शाल, श्रीफल भेंट किया गया।
राष्ट्रीय चित्र एवं मूर्तिकला पुरस्कार के अन्तर्गत वर्ष 2018 के लिये श्री नम्बकम हरिनाथ को एक लाख रुपये, श्री मनदीप शर्मा को एक लाख, श्री संतोष कुमार मोहना को एक लाख रुपये, सुश्री नतालिया बहुस्वीच को एक लाख रुपये एवं मूर्तिशिल्प में उज्जैन के गौतम साहा को एक लाख रुपये का पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया। इसी तरह वर्ष 2019 के लिये मेघदूत विषय पर बनी कलाकृतियों पर श्री ब्रजमोहन कुमावत, सुश्री विजयलक्ष्मी, डॉ.प्रवीरकृष्ण अत्रे, सुश्री प्रतिभा अविनाश बजरंगकर तथा श्री हजारीलाल शाक्य प्रत्येक को एक लाख रुपये, प्रशस्ति-पत्र एवं शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। कमल केपी सेठिया चित्रकला सम्मान सुश्री महक कमलेश साहू को प्रदान किया गया।
7 दिवसीय कालिदास समारोह का समापन।