उज्जैन बहुचर्चित झींजर कांड की घटना को लोग भूल भी नहीं पाए थे, कि 6 माह के अंतराल में ही एक बार फिर जहरीली शराब बनाने के कारखाने का पर्दाफाश होने के बाद सीधे थाना प्रभारी पर गाज गिरने से आबकारी विभाग व जनपद पर सवालिया निशान उठना लाजमी है।
उल्लेखनीय है कि अवैध शराब के कारोबार वह निर्माण पर आबकारी विभाग का नियंत्रण होना जरूरी है। मगर विभाग में बैठे अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे इसे अनदेखा कर अपनी जेब भरने से नहीं चूकतेथे। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पिछले 6 माह पूर्व शहर के मध्य बड़ा झिंजर कांड सामने आया वही 6 माह के अंतराल में भाजपा समर्थित सरपंच व कथित नेताओं के संरक्षण में भारी मात्रा में अवैध शराब बनाए जाने के कारखाने का खुलासा हुआ। भैरव गढ़ पुलिस ने मामले में अवैध शराब बनाने के प्लांट पर छापामार कार्रवाई की ग्राम बांस खेड़ी में सामुदायिक भवन से लगे खेत में बने एक अवैध कमरे में शराब बनाई जा रही थी वहां से पुलिस ने 8 ड्रम स्प्रिट के बरामद किए थे बताया जाता है कि सामुदायिक भवन के पास बने अवैध कमरे में यह सारा गोरखधंधा चल रहा था सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में भाजपा के नेता की सहभागिता से इनकार नहीं किया जा सकता, वही जनपद सीईओ की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है।
इस संबंध में सी ई ओ रविकांत
उ ई के शिव चर्चा करने पर उन्होंने स्वयं का बचाव करते हुए बताया कि सामुदायिक भवन राज्य शासन स्तर पर योजना के तहत मंजूर हुआ था कार्रवाई के बाद संज्ञान में आने पर एसडीएम के निर्देश पर दरवाजा बंद कराया गया हालांकि इस संबंध में टीएल परीक्षण कराया जा रहा है कि भवन बनाने से पूर्व दूसरे कमरे में जाने के लिए दरवाजे की किस नियम के तहत परमिशन दी गई थी। इसके लिए जो वींग बनाई गई थी उसे इस बात की जानकारी थी तो वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी प्रदाय क्यों नहीं की गई इसके संबंध में सहायक यंत्री व उपयंत्री से जानकारी मांगी गई है